छत्तीसगढ़सूरजपुर

भाजपा के जरही मंडल कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं की गैरमौजूदगी से उभरी असंतोष की तस्वीर

सूरजपुर/जरही :– पुण्यश्लोक देवी अहिल्या बाई होलकर की 300वीं जयंती के अवसर पर भाजपा द्वारा जिले भर में मंडल स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में जरही मंडल के नगर पंचायत जरही के सांस्कृतिक भवन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां मुख्य अतिथि के रूप में प्रतापपुर विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते उपस्थित रहीं।

कार्यक्रम को भव्य बनाने की तैयारियों के बावजूद, संगठनात्मक ढील और कार्यकर्ताओं की नगण्य उपस्थिति ने सवाल खड़े कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, इस आयोजन में ग्रामीण क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं की भागीदारी नहीं के बराबर रही, जबकि जरही मंडल अंतर्गत लगभग 25-30 गांव शामिल हैं।इसमें 60 बूथ अध्यक्ष और 14 शक्ति केंद्र प्रभारी है ।लेकिन ऐसे में केवल पदाधिकारी कार्यक्रम में उपस्थित हो तो विधायक के स्वागत में भीड़ दिख जाएगी, वर्तमान स्थिति देख ऐसा लग रहा है की पार्टी कार्यकर्ता नवीन कार्यकारी समिति को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।

कार्यक्रम में भीड़ जुटाने नगर पंचायत जरही के कुछ वार्डों से आम नागरिकों को बुलाया गया, परंतु नव-नियुक्त मंडल पदाधिकारी तक अनुपस्थित रहे। मंच से ही विधायक पोर्ते ने मंडल अध्यक्ष से संगठन के पदाधिकारियों की अनुपस्थिति को लेकर सवाल पूछे, लेकिन मंडल अध्यक्ष कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके।

विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि मंडल विस्तार के दौरान कई पुराने, अनुभवी कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया गया, क्योंकि वे पूर्व गृहमंत्री एवं वर्तमान वन विकास निगम के अध्यक्ष रामसेवक पैकरा के समर्थक माने जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप संगठन में असंतोष की लहर फैल गई है।

कार्यकर्ताओं की लगातार घटती भागीदारी और अंदरूनी मतभेदों के चलते भाजपा के अंदर अंतर्कलह उभरकर सामने आने लगा है। कार्यकर्ताओं की माने तो जरही मंडल को युवा मोर्चा के एक कार्यकर्ता के इशारों पर चलाया जा रहा है, जिससे संगठन में असंतोष और नाराजगी बढ़ती जा रही है।

पार्टी के अंदर की यह टूट-फूट आने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए चुनौती बन सकती है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के संगठनात्मक आदर्शों की चर्चा करते हुए कुछ कार्यकर्ताओं ने दबे स्वर में कहा कि “अब विधायक खेमा ठेंगा दिखा रही हैं”।

भाजपा के लिए यह समय आत्ममंथन का है, क्योंकि कार्यकर्ताओं की नाराजगी यदि इसी तरह बनी रही तो जमीनी संगठन की नींव हिल सकती है।

Fareed Khan

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