रक्षक या भक्षक? युवक की जानलेवा पिटाई, चौकी प्रभारी पर संगीन आरोप…

तत्काल कार्यवाही की मांग, अन्यथा कांग्रेस पार्टी का उग्र आंदोलन तय..
बलरामपुर :– दिनांक 18 मई 2025 की रात वाड्रफनगर थाना अंतर्गत मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे बलरामपुर जिले को झकझोर कर रख दिया है। घटना का मुख्य पात्र है चौकी प्रभारी धीरेन्द्र तिवारी, जिनपर नशे की हालत में एक निर्दोष युवक मयंक यादव की जानलेवा पिटाई करने, अश्लील गाली-गलौज करने और कपड़े उतरवाकर बेइज्जती करने का गंभीर आरोप है।
युवक मयंक यादव को रात लगभग 11:00 बजे चौकी प्रभारी द्वारा फोन करके बुलाया गया — यह कहकर कि किसी घटना के बारे में पूछताछ करनी है। युवक ने बिना किसी आशंका के चौकी पहुंचकर सहयोग किया, लेकिन चौकी में पहुंचते ही माहौल बदल गया। चौकी प्रभारी नशे में धुत था और बिना कारण मयंक यादव व उसके साथी को गालियां देते हुए कपड़े उतरवाकर प्लास्टिक पाइप व डंडों से बर्बर तरीके से पीटना शुरू कर दिया।
पूरी रात युवक को बिना किसी लिखित शिकायत के चौकी में बैठा कर रखा गया। बाद में प्रभारी ने मनमाने तरीके से धारा 170 BNSS के तहत अपराध पंजीबद्ध कर जेल भेज दिया, जो कि कानूनी रूप से संदेहास्पद है। यह धारा केवल तब लागू होती है जब कोई अपराध की साजिश करता हो, जबकि यहां युवक अपने घर में सो रहा था और उसे बुलाकर यह अमानवीय कृत्य किया गया।
यह घटना बलरामपुर जिले में बढ़ती पुलिस तानाशाही और कस्टडियल टॉर्चर का प्रत्यक्ष प्रमाण है। इससे पहले भी जिले में कस्टडियल डेथ की घटनाएं हो चुकी हैं, और यह एक नई कड़ी के रूप में जुड़ रही है।
इस पूरी घटना ने क्षेत्र में आतंक और भय का माहौल पैदा कर दिया है। आम नागरिक अब खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं। ऐसा प्रतीत होता है जैसे चौकी अब न्याय का नहीं, अत्याचार का केंद्र बन गई हो।
आज दिनांक 20 मई 2025 को कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष के नेतृत्व में SDM वाड्रफनगर को एक ज्ञापन सौंपा गया है, जिसमें दो दिन के भीतर आरोपी चौकी प्रभारी के खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही की मांग की गई है। अगर कार्यवाही नहीं होती है, तो कांग्रेस पार्टी जिलेभर में उग्र आंदोलन, चक्काजाम और धरना प्रदर्शन करेगी।
मांगे –
1. चौकी प्रभारी धीरेन्द्र तिवारी को तत्काल निलंबित किया जाए।
2. उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित कर निष्पक्ष जांच की जाए।
3. पीड़ित मयंक यादव को न्याय दिलाया जाए व उचित मुआवजा प्रदान किया जाए।
4. क्षेत्र की पुलिस चौकियों में मानवाधिकारों का पालन सुनिश्चित किया जाए।
जनता पूछ रही है: कब तक पुलिस वर्दी की आड़ में अत्याचार होता रहेगा?
क्या आम नागरिक का जीवन अब सुरक्षित नहीं बचा?